क्रान्तिवीर राव उमराव सिहँ गुर्जर
कूद पडा क्रान्ति में, देई पुकार राव उमराव ने
भेज दिये हजारो वीर,भटनेर के हर घर-गाँव ने
राव उमराव सिहँ गुर्जर दादरी भटनेर रियासत के राजा। इनका जन्म सन् 1832 मे दादरी (उ.प्र) के निकट ग्राम कटेहडा मे राव किशनसिंह गुर्जर के पुत्र के रूप मे हुआ था।सन सत्तावन १८५७ की जनक्रान्ति में राव रोशन सिहँ ,उनके बेटे राव बिशन सिहँ व उनके भतीजे राव उमराव सिहँ का महत्वपूर्ण योगदान था।
10 मई को मेरठ से 1857 की जन-क्रान्ति की शुरूआत कोतवाल धनसिंह गुर्जर द्वारा हो चुकी थी
10 मई को मेरठ से 1857 की जन-क्रान्ति की शुरूआत कोतवाल धनसिंह गुर्जर द्वारा हो चुकी थी
तत्कालीन राष्टृीय भावना से ओतप्रोत भारत-पुत्र उमरावसिंह गुर्जर ने आसपास के ग्रामीणो को प्रेरित कर 12 मई 1857 को सिकन्द्राबाद तहसील पर धावा बोल दिया । वहाँ के हथ्यार और खजानो को अपने अधिकार मे कर लिया। इसकी सूचना मिलते ही बुलन्दशहर से सिटी मजिस्ट्रेट सैनिक बल सिक्नद्राबाद आ धमका। 7 दिन तक क्रान्तिकारी सैना अंग्रेज सैना से ट्क्कर लेती रही । अंत मे 19 मई को सश्स्त्र सैना के सामने क्रान्तिकारी वीरो को हथियार डालने पडे 46 लोगो को बंदी बनाया गया । उमरावसिंह गुर्जर बच निकले ।
इस क्रान्तिकारी सैना मे गुर्जर समुदाय की मुख्य भूमिका होने के कारण उन्हे ब्रिटिश सत्ता का कोप भोजन होना पडा।उमरावसिंह गुर्जर अपने दल के साथ 21 मई को बुलन्दशहर पहुचे एवं जिला कारागार पर घावा बोलकर अपने सभी राजबंदियो को छुडा लिया । बुलन्दशहर से अंग्रेजी शासन समाप्त होने के बिंदु पर था लेकिन बाहर से सैना की मदद आ जाने से यह संभव नही हो सका ।
इस क्रान्तिकारी सैना मे गुर्जर समुदाय की मुख्य भूमिका होने के कारण उन्हे ब्रिटिश सत्ता का कोप भोजन होना पडा।उमरावसिंह गुर्जर अपने दल के साथ 21 मई को बुलन्दशहर पहुचे एवं जिला कारागार पर घावा बोलकर अपने सभी राजबंदियो को छुडा लिया । बुलन्दशहर से अंग्रेजी शासन समाप्त होने के बिंदु पर था लेकिन बाहर से सैना की मदद आ जाने से यह संभव नही हो सका ।
हिंडन नदी के तट पर 30 व 31 मई को क्रान्तिकारी सैना और अंग्रेजी सैना के बीच एक ऐतिहासिक भीषण युद्ध हुआ। जिसकी कमान क्रान्तिनायक धनसिहँ गुर्जर, राव उमराव सिहँ गुर्जर, राव रोशन सिहँ गुर्जर इस युद्ध में अंग्रेजो को मुहँ की खानी पडी थी।
26 सितम्बर, 1857 को कासना-सुरजपुर के बीच उमरावसिंह की अंग्रेजी सैना से भारी टक्कर हुई । लेकिन दिल्ली के पतन के कारण क्रान्तिकारी सैना का उत्साह भंग हो चुका था ।
भारी जन हानी के बाद क्रान्तिकारी सैना ने पराजय श्वीकार करली । उमरावसिंह गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया गया । इस जनक्रान्ति के विफल हो जाने पर बुलंदशहर के काले आम पर बहुत से गुर्जर क्रान्तिवीरो के साथ राजा राव उमराव सिहँ भाटी, राव रोशन सिहँ भाटी, राव बिशन सिहँ भाटी को बुलन्दशहर मे कालेआम के चौहराहे पर हाथी के पैर से कुचलवाकर फाँसी पर लटका दिया गया ।
26 सितम्बर, 1857 को कासना-सुरजपुर के बीच उमरावसिंह की अंग्रेजी सैना से भारी टक्कर हुई । लेकिन दिल्ली के पतन के कारण क्रान्तिकारी सैना का उत्साह भंग हो चुका था ।
भारी जन हानी के बाद क्रान्तिकारी सैना ने पराजय श्वीकार करली । उमरावसिंह गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया गया । इस जनक्रान्ति के विफल हो जाने पर बुलंदशहर के काले आम पर बहुत से गुर्जर क्रान्तिवीरो के साथ राजा राव उमराव सिहँ भाटी, राव रोशन सिहँ भाटी, राव बिशन सिहँ भाटी को बुलन्दशहर मे कालेआम के चौहराहे पर हाथी के पैर से कुचलवाकर फाँसी पर लटका दिया गया ।
मगर आज भी इन महान क्रान्तिवीरो का नाम बडे गर्व व सम्मान के साथ लिया जाता है।इस क्रान्ति में भाटी परिवार ने बहुत बडी भूमिका निभायी थी व बहुत बडा बलिदान किया था।
अब समय आ गया है कि बुलंदशहर के काले आम के पास एक भव्य स्मारक बनवाकर इन राष्ट्रभक्तो की मूर्तियाँ लगवायी जाये व इनके लिये एक स्मृति दिवस मनाया जाये।
अब नहीं तो कब।
बुलंदशहर व गौतमबुद्धनगर के किसी सरकारी संस्थान का नामकरण राव रोशन सिहँ व उमराव सिंह के नाम पर रखा जाये।
हमें इन क्रान्तिकारियो को सम्मान दिलाने का भरसक प्रयत्न करना चाहिये ।
• कृप्या अघिक से अघिक #शेयर करे ।
अब समय आ गया है कि बुलंदशहर के काले आम के पास एक भव्य स्मारक बनवाकर इन राष्ट्रभक्तो की मूर्तियाँ लगवायी जाये व इनके लिये एक स्मृति दिवस मनाया जाये।
अब नहीं तो कब।
बुलंदशहर व गौतमबुद्धनगर के किसी सरकारी संस्थान का नामकरण राव रोशन सिहँ व उमराव सिंह के नाम पर रखा जाये।
हमें इन क्रान्तिकारियो को सम्मान दिलाने का भरसक प्रयत्न करना चाहिये ।
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