एक बहुआयामी व्यक्तित्व
नारायणगढ के गॉव मे पैदा हो कर डॉक्टर सर्जन सी एम ओ० व डायरेक्टर जनरल तक पहुचने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय से क़ानून स्नातक होने के बाबजूद चन्डीगढ व बड़े शहर छोड़ कर जिला पचकूला के बाग़वाली जैसी देहाती छोटी जगह पर मरीज़ देखना व आप्रेशन करना एक अप्रत्याशित कल्पना कहती है ।
लेकिन यह सच है और इसे सच करने वाले डॉक्टर को मिल कर यह नही लगता कि वह कभी स्वास्थ्य विभाग का बड़ा अफ़सर रहा होगा या हाई कोर्ट चण्डीगढ़ की बार का सदस्य होगा। आप उसे चलते चलते कही भी सरलता से मिल व सलाह ले सकते है । यह है बिचपड़ी के डॉक्टर सतवीर चौधरी सिराधना गोत्र से है
सुनने मे आता है कि उन की जगह कोई और होता तो निश्चित तौर पर चन्डीगढ या किसी बड़े शहर के किसी कारपोरेट हस्पताल जैसे फोरटिस मैक्स या एलकैमिस्ट मे डायरेक्टर या अधिक्षक रहना पसंद करता लेकिन उन्हें तो दूर के देहात क्षेत्र मे ही लोगो की सेवा मे रहना था और कर लिया बाग़वाली के सौ बिस्तर के ग्रामीण हस्पताल मे काम करने का फ़ैसला लिया व हर महीने आठ दस कैम्प गॉवो मे लगाकर क्षेत्र के गरीब मरीजो तक पहुच रहे है।जो की समाज सेवा का अपने आप मे एक जिता जागता उदाहरण है लेकिन
बाद मे उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा बुला कर सलाहकार के रूप मे सेवा करने की पेशकश की गई जिससे व इनकार न कर सके और इन दिनों पंचकूला के सिविल हस्पताल मे भी मरीज़ देखने व आपरेशन करने का सेवा का काम कर रहे है ।
जब उन से पूछा गया कि आप ने सर्जन होते हुऐ वक़ील की पढ़ाई क्यों कि तो उन्होंने बताया कि पढ़ाई को व्यवसाय से नही जोड़ना चाहिए । यह तो केवल ज्ञान है ' मुझे कांग्रेस के राज मे ख़ाली पोस्ट पर बिठा रखा था और चन्डीगढ मे पोस्टिंग थी तो लाभ उठा लिया, चौधरी साहब ने तो मास कॉम( पत्रकारिता ) मे व मानवाधिकार मे भी पंजाब विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रखी है व सदैव फ़र्स्ट डिविज़न से उत्तीर्ण हुए है ये सभी पढ़ाई जीवन मे काम आती है।
उनके दोनों बच्चे व दामाद भी डाक्टर होने के साथ एम डी करने के बाद विभिन्न मैडीकल कालेजो मे कार्यरत है
पत्नि डॉ प्रमिला तंवर चौधरी दन्त चिकित्सक है।
उनके पिता चौधरी टीका सिंह पुलिस कप्तान के पद से रिटायर हुए तथा बहुत ज़िम्मेवारी व महत्वपूर्ण जाँचो को सिरे लगाया । रिवासा कॉड मे चौ बंसीलाल के विरुद्ध चार्ज व गिरफ़्तारी का काम भी तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल द्वारा चौ टीका सिंह को सौंपा गया था जिसे उन्होंने बिना डरे निभाया व बंसीलाल को हथकड़ी लगा कर कोर्ट मे पेश किया चौधरी साहब के पिता जी की बहादुरी के किस्से हमारे गाव बुजूर्गों से कई बार सुनने को मिले,,जब चौधरी औम प्रकाश चौटाला जी मुख्यमंत्री थे तब डाक्टर साहब के पिता जी के साथ हमारे गाँव भी पधारे जो की हमारे गाँव के लिए एक सौभाग्य की बात थी,,,
आजकल भी चौधरी साहब डाकटरी के अतिरिक्त नारायणगढ क्षेत्र मे समाजसेवी के रूप मे भी कार्य कर रहे है व ईनैलो पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य व प्रवक्ता है और इनैलो पार्टी की नितियों को नारायणगढ़ हल्के के गांवो मे पंहुचकर जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुँचा रहे हैं चौधरी साहब को नारायणगढ़ हल्के के युवा पीढ़ी से लेकर बजुर्ग हर कोई सम्मान देता है और इसका कारण डाक्टर साहब की सादगी भरी जीवन शैली और हल्के के लोगों से मिलनसार मधुर संबंध ही है। अभी भी डाक्टर साहब जब भी पार्टी सम्बन्धी प्रचार के लिए किसी गाँव जाते हैं तो निस्वार्थ लोगों चिकित्सा सम्बन्धी परामर्श व अन्य सेवाएं समाज हित मे देते रहे हैं जिस तरह से कई वर्षों से डाक्टर साहब पार्टी का जमीनी स्तर पर प्रचार कर रहे है।
पोस्टकर्ता गौरव चौधरी श्यामटू
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